शारीरिक स्वास्थ्य का प्रारंभिक ज्ञान
मानव शरीर एक मशीन की तरह होता है जिसमें विभिन्न विभिन्न प्रकार के पुर्जे होते हैं यह शरीर में लगातार अपना अपना कार्य करते रहते हैं इन अंगों की बनावट का ज्ञान देने वाले विज्ञान को शारीरिक रचना विज्ञान कहते हैं और शरीर के भिन्न-भिन्न अंग क्या क्या कार्य करते हैं इसकी जानकारी देने वाले विज्ञान शास्त्र को शरीर क्रिया विज्ञान साइकोलॉजी कहते हैंमानवीय शरीर बहुत से संतों और अंगों का बना है होता है जिसका निर्माण कोशिकाएं करती हैं शरीर के सभी अंगों का भागों में बटर होना एक स्वाभाविक बात है शरीर के सभी अंगों या भागों में 206 हड्डियां होती हैं यह हड्डियां खनिज लवणों में कार्बनिक पदार्थों से बनी होती हैं और आकार में बनावट में भिन्न-भिन्न होती हैं हमारे शरीर के कोमल अंगों की रक्षा इन्हीं के द्वारा होती है जीवित रहने के लिए मानवीय शरीर को पानी भोजन वायु की अति आवश्यकता होती है जिनके बिना हमारा जीवन संभव नहीं है शरीर के अंदर पानी भोजन वायु और अन्य कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए अनेक शारीरिक संस्थान नियंत्रित कार्य कृत रहते हैं जैसे मांसपेशी संस्थान , पाचन संस्थान , संस्थान संस्थान ,अपने अपने संबंधित कार्य करते रहते हैं ताकि हमारा शरीर सुचारू रूप से चलता रहे|
अस्थि पंजर / कंकाल संस्थान का अर्थ:-
मानवीय शरीर में छोटी बड़ी पतली लंबी छुट्टी वकार ही अनेक प्रकार की 206 हड्डियां होती हैं जो मिलकर एक अस्थि पंजर का निर्माण करती हैं इस अस्थि पंजर की भिन्न-भिन्न हड्डियां जब मिलकर शरीर के लिए विभिन्न कार्य करती हैं तो हम इसको अस्थि पंजर या कंकाल संस्थान कहते हैं यह शरीर के अंदर कोमल अंगों की सुरक्षा रखती है
हड्डियों के प्रकार:-
मानव शरीर में हड्डियों के 5 प्रकार होते हैं
- खोपड़ी की हड्डी
- रीड की हड्डी
- छाती/सीने की हड्डी
- बाजू की हड्डी
- टांग की हड्डी
- खोपड़ी की हड्डी :- खोपड़ी की हड्डी को दो भागों में बांटा गया है एक कपाल जिसमें 8 हड्डियां होती हैं दूसरे चेहरे में कान की हड्डियां जिसमें लगभग 20 हड्डियां होती हैं खोपड़ी की हड्डी खोपड़ी की हड्डी को दो भागों में बांटा गया है एक कपाल जिसमें 8 हड्डियां होती हैं दूसरे चेहरे में कान की हड्डियां जिसमें लगभग 20 हड्डियां होती हैं |
- रीड की हड्डी :- रीड की हड्डी को कशेरुक दंड या मेरुदंड भी कहते हैं रीड की हड्डी को मनुष्य के शरीर का आधार स्तंभ माना जाता है यह गर्दन से शुरू होकर मल मूत्र के निकाह स्थान तक जाती है रीड की हड्डी बहुत लचकदार होती है जो कई हड्डियों के मिलने से बनी है जिन्हें कशेरुकाओं कहते हैं प्रत्येक हड्डी के मध्य एक गुर्दा होता है जिसको कार्टिलेज कहते हैंया गुर्दा हड्डियों को आपस में रगड़ खाने से बचाता है मनुष्य के शरीर में रीढ़ की हड्डी की लंबाई लगभग 24 से 28 इंच तक होती है इसमें 33 मनके अथवा मोहरे कशेरुकाओं होती हैं मेरुरज्जु की देखभाल रीड की हड्डी करती है रीड की हड्डी के निम्नलिखित पांच मुख्य भाग हैं:-
(ii) पीठ के मनके |
(iii) कमर के मनके |
(iv) ट्रिक के मनके |
(v) कुछ हड्डियों के मनके |
3. छाती व सीने की हड्डी :- वृक्ष 1818 छाती की हड्डी चपटी और संकरी होती है इसका ऊपरी भाग चौड़ा व निचला भाग पतला होता है यह गर्दन के मनके से ऊपर और नीचे कोस्टल कार्टिलेज द्वारा जुड़ी होती है इसके दोनों और 1212 पतली पसलियां का एक पिंजरा सा होता है जो इन पसलियों और छाती की हड्डियों से मिलकर बना होता है सभी पसलियां लचीली होती हैं सभी पसलियां छोटी-बड़ी में लचीली होती हैं यह पसलियां पिछली और थोरेसिक बाल्टी भर के साथ जुड़ी होती हैं पहली साथ पसलियां छाती की हड्डियों के साथ विभिन्न रूपों में जुड़ी होती हैं इसे सच्ची या वरती ब्रिज कार्टिलेज पसलियां कहते हैं |
4. बाजू की हड्डियां:- हमारी प्रत्येक बाजू में निम्नलिखित हड्डियां होती हैं>>
(i) कंधे की हड्डियां
(ii) मार्शल की हड्डियां
(iii) छोटी व बड़ी वीणा की हड्डियां
(iv) हाथ की हड्डियां
5. टांग की हड्डी:-
(i) जांघ की हड्डी शरीर की सबसे बड़ी हड्डी होती है|
(ii) घुटने की हड्डी
(iii) पैरों की हड्डियां
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