स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा:-
स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं । सामान्यतः लोगो के संदर्भ में स्वास्थ्य से अभिप्राय बीमारी की अनुपस्थिति को माना जाता है परंतु यह स्वास्थ्य का वास्तविक अर्थ नहीं है स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है जिसमें वे मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी सारिक संस्थान सुचारू रूप से काम करते हैं इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है अपितु शारीरिक मानसिक एवं सामाजिक रुप से भी संपूर्ण स्वस्थ होना है यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसंता और शरीर रोग मुक्त रहता है।
स्वास्थ्य के विभिन्न पहलू या आयाम।
- शारीरिक स्वास्थ्य - शारीरिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य केेेे एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके अंतर्गत हमेंहमें अपने शरीर की जानकारी मिलती है।
- मानसिक स्वास्थ्य - मानसिक व बौद्धिक स्वास्थ्य के बिना सभी स्वास्थ्य अधूरे हैं क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मन की प्रसन्नता व शांति से है अतः इसका संबंध तनाव या दबाव मुक्त से है। यदि व्यक्ति का मन चिंतित एवं अशांत रहेगा तो उसका कोई भी विकास पूर्ण रूप से नहीं होगा चाहे वो चाहे मानसिक रूप से अत्यंत आवश्यक है।
- सामाजिक स्वास्थ्य - सामाजिक स्वास्थ्य भी स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण आयाम है यह व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है यह व्यक्ति मैं संतोषजनक व्यक्तिगत संबंधों की क्षमता में वृद्धि करता है। व्यक्ति सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज के नियमों मान मर्यादाओं आदि का पालन करता है यदि एक व्यक्ति अपने परिवार और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है तो उसे सामाजिक रुप से स्वस्थ व्यक्ति कहा जाता है।
- आध्यात्मिक स्वास्थ्य - आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जो नैतिक नियमों का पालन करता है, दूसरों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करता हो, सत्य वे न्याय के विकास रखने वाला हो और दूसरे की किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता हो।
स्वास्थ्य एक गतिशील प्रक्रिया है जो हमारे सारिक संस्थानों को प्रभावित करती है और हमारी जीवनशैली में आवश्यक एवं महत्वपूर्ण बदलाव करती है अच्छा स्वास्थ्य रोगों से मुक्त होने के अतिरिक्त किसी व्यक्ति की मानसिक शारीरिक और सामाजिक खुशहाली एवं प्रसन्नता को व्यक्त करता है यह हमे अच्छा महसूस करवाता है और हमारा आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है।
स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए।
- सारिक संस्थानों या अंगो का ज्ञान होना जरूरी है व्यक्ति को पता होना चाहिए कि यदि उसे रोग है तो उसे कहां तकलीफ है या शरीर के किस हिस्से में तकलीफ है।
- व्यक्ति को समय-समय पर डॉक्टरी जांच करानी चाहिए ताकि उसे पता रहे कि उसका शरीर में कोई तकलीफ तो नहीं है।
- व्यक्ति को कम से कम 6 से 8 घंटे की निद्रा में विश्राम करना चाहिए हो सके तो दिन में विश्राम ना करें रात को पूरे 8 घंटे की नींद ले।
- सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करें प्रतिदिन व्यायाम करने से आपके सभी सादिक संस्थान सुचारू रूप से काम करेंगे और आप फुर्तीला महसूस करेंगे।
- अधिकतर समय नाक से सांस लें क्योंकि नाक में मौजूद बाल धूल कणों को हमारे शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं जिससे हमारा फेफड़े सही रहते है।
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